रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
यूँ ही जाते लड़खड़ा, कदम चले जो दूर ।खाते क्यूँ यह हड़बड़ा, आखिर क्यूँ मजबूर ।आखिर क्यूँ मजबूर, हकीकत तुम भी जानो ।गम उसको भरपूर, बात मानो ना मानो ।कैसे सहे विछोह, आत्मा यह निर्मोही ।समझ हृदय की पीर, करो ना बातें यूँ ही ।।
यूँ ही जाते लड़खड़ा, कदम चले जो दूर ।कहते क्यूँ यह हड़बड़ा, आखिर क्यूँ मजबूर ।
बहुत खूब ।
वाह लाजवाब पंक्तियाँ क्या बात है जिस पल छोड़ा होगा उसने तेरा शहर "झरना"तेरे नाम के साथ फिर आंसू आ गए होंगे.......
बहुत सुन्दर रचना .........
प्रेम की वो टीस...वो कसक ...इतनी गहराई से उकेरी है ...रश्मि जी .....लाजवाब रचना ....चित्र भी बहुत सुंदर ...!!मन में भावों का झरना बहा दिया ...बहुत सुंदर ....!!
क्या बात है!बढ़िया प्रस्तुति
सुंदरा अभिव्यक्ति कम शब्दों में |मेरी नई पोस्ट:-करुण पुकार
सुंदर रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति... सुप्रभात!
राह के हर नजारे धुंधला गए होंगेउसकी आंखों में जब आंसू आ गए होंगेहोके मजबूर उसने शहर ये छोड़ा होगा ....बढ़िया रचना .
क्या बात, बहुत सुंदरबार बार पढने का मन हो रहा हैराह के हर नजारे धुंधला गए होंगेउसकी आंखों में जब आंसू आ गए होंगेजाते-जाते जब उसने मुड़कर देखाबढ़ते हुए कदम यूं ही लड़खड़ा गए होंगेजिस पल छोड़ा होगा उसने तेरा शहर "झरना"तेरे नाम के साथ फिर आंसू आ गए होंगे.......
विदाई के पलों की व्यथा बहुत सुन्दर शब्दों से बयान की है बहुत खूब
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13 comments:
यूँ ही जाते लड़खड़ा, कदम चले जो दूर ।
खाते क्यूँ यह हड़बड़ा, आखिर क्यूँ मजबूर ।
आखिर क्यूँ मजबूर, हकीकत तुम भी जानो ।
गम उसको भरपूर, बात मानो ना मानो ।
कैसे सहे विछोह, आत्मा यह निर्मोही ।
समझ हृदय की पीर, करो ना बातें यूँ ही ।।
यूँ ही जाते लड़खड़ा, कदम चले जो दूर ।
कहते क्यूँ यह हड़बड़ा, आखिर क्यूँ मजबूर ।
बहुत खूब ।
वाह लाजवाब पंक्तियाँ क्या बात है
जिस पल छोड़ा होगा उसने तेरा शहर "झरना"
तेरे नाम के साथ फिर आंसू आ गए होंगे.......
बहुत सुन्दर रचना .........
प्रेम की वो टीस...वो कसक ...इतनी गहराई से उकेरी है ...रश्मि जी .....
लाजवाब रचना ....चित्र भी बहुत सुंदर ...!!
मन में भावों का झरना बहा दिया ...
बहुत सुंदर ....!!
क्या बात है!बढ़िया प्रस्तुति
सुंदरा अभिव्यक्ति कम शब्दों में |
मेरी नई पोस्ट:-
करुण पुकार
सुंदर रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति... सुप्रभात!
राह के हर नजारे धुंधला गए होंगे
उसकी आंखों में जब आंसू आ गए होंगे
होके मजबूर उसने शहर ये छोड़ा होगा ....
बढ़िया रचना .
क्या बात, बहुत सुंदर
बार बार पढने का मन हो रहा है
राह के हर नजारे धुंधला गए होंगे
उसकी आंखों में जब आंसू आ गए होंगे
जाते-जाते जब उसने मुड़कर देखा
बढ़ते हुए कदम यूं ही लड़खड़ा गए होंगे
जिस पल छोड़ा होगा उसने तेरा शहर "झरना"
तेरे नाम के साथ फिर आंसू आ गए होंगे.......
विदाई के पलों की व्यथा बहुत सुन्दर शब्दों से बयान की है बहुत खूब
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