Thursday, September 27, 2012

आंसू..

पास आओ तुम कि‍ फि‍र एक बार
तुम्‍हें छू कर देखें
मेरे दि‍ल के जख्‍म
भरते हैं या नहीं........
मेरे आंसुओं को तुम फि‍र एक बार
समेट लो हथेलि‍यों में
देखना है तुम्‍हारे आंसू इनमें
मि‍लते हैं या नहीं........

13 comments:

  1. आंसू आंशुक-जल सरिस, हरे व्यथा तन व्याधि ।

    समय समय पर निकलते, आधा करते *आधि ।

    *मानसिक व्याधि

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  2. गिन के कुछ पंक्तियाँ है पर जो इनमें आपने दर्द भरा है....काबिलेतारीफ |

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  3. प्रेम और दर्द का अनोखा संगम क्या बात है उम्दा लिखा है आपने

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  4. दर्द भरी सुंदर रचना,,,,प्रसंसनीय,,,

    RECENT POST : गीत,

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  5. लिटमस पेपर टेस्ट प्रेम का कर लेना चाहती है कवियित्री .सुन्दर रचना .

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  6. बहुत सुंदर!

    आँसू में आसूँ अगर
    मिला दिया जाये
    देखिये क्या पता
    नमकीन कुछ
    मीठा हो जाये !

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  7. बहुत ही बढ़िया...

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  8. वेदना को प्रदर्शित करती सुंदर प्रस्तुति |
    इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और हमसे जुड़ें |
    काव्य का संसार

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  9. शब्दों का बेहद खूबसूरत इस्तेमाल और कोई फिजूलखर्ची नहीं!! भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति!!

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  10. वाह वाह बहुत ही सुन्दर।

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