Thursday, August 9, 2012

मेरा कान्‍हा.....अभि‍रुप

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अपनी नन्‍हीं बाहें फैला कर
जब वो मुझसे लि‍पट जाता है...
बड़े लाड़ से
कभी मां....कभी मम्‍मा
कभी मम्‍मू बुलाता है
कभी ति‍रछी चि‍तवन से
कभी आंखें नचाकर
दुनि‍या भर की बातें बताता है....
पास बुलाने पर
शरारत से और दूर भाग जाता है
नाराज होने पर
ढेरो प्‍यार बरसाता है....
मुझसे मत पूछो मेरा मन
कि‍तना हर्षित हो जाता है..
जब वह अपने नन्‍हें-नन्‍हें हाथों से
दुलराता है....
और मुझसे लि‍पटकर
मुझमें सि‍मटकर
जब वो सो जाता है....
बाल-गोपाल सा मेरा लाड़ला
कृष्‍ण- कन्‍हैया नजर आता है.....

6 comments:

  1. हर माँ के लिए उसका लाडला बाल गोपाल ही होता है :)
    जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ !
    सादर !

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  2. बाल-गोपाल सा मेरा लाड़ला
    कृष्‍ण- कन्‍हैया नजर आता है.....

    बच्चे वैसे भी भगवान का रूप होते है,,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

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  3. ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
    हम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
    जय श्री कृष्ण ..
    kalamdaan

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  4. जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    सादर

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  5. कितनी प्यारी कविता..
    भगवान अगर कहीं बस्ता है तो बच्चों में ही...

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