.अपनी नन्हीं बाहें फैला कर
जब वो मुझसे लिपट जाता है...
बड़े लाड़ से
कभी मां....कभी मम्मा
कभी मम्मू बुलाता है
कभी तिरछी चितवन से
कभी आंखें नचाकर
दुनिया भर की बातें बताता है....
पास बुलाने पर
शरारत से और दूर भाग जाता है
नाराज होने पर
ढेरो प्यार बरसाता है....
मुझसे मत पूछो मेरा मन
कितना हर्षित हो जाता है..
जब वह अपने नन्हें-नन्हें हाथों से
दुलराता है....
और मुझसे लिपटकर
मुझमें सिमटकर
जब वो सो जाता है....
बाल-गोपाल सा मेरा लाड़ला
कृष्ण- कन्हैया नजर आता है.....
हर माँ के लिए उसका लाडला बाल गोपाल ही होता है :)
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनाएँ !
सादर !
बाल-गोपाल सा मेरा लाड़ला
ReplyDeleteकृष्ण- कन्हैया नजर आता है.....
बच्चे वैसे भी भगवान का रूप होते है,,,,
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
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ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
ReplyDeleteहम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
जय श्री कृष्ण ..
kalamdaan
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
ReplyDeleteसादर
कितनी प्यारी कविता..
ReplyDeleteभगवान अगर कहीं बस्ता है तो बच्चों में ही...