Wednesday, August 8, 2012

कभी-कभी

कभी-कभी यूं भी होता है
आंखें खुश्‍क होती है और दि‍ल रोता है...
वफा का दामन थाम जो चलता है संभलकर
वही शफ़फाक दामन क्‍यों कीचड़ से तर होता है
जि‍सके अपने होने पर कभी फख्र हुआ करता था उन्‍हें
अपनी उसी पसंद पर इंसा को फि‍र क्‍यों रंज होता है ??

8 comments:

  1. कभी आँख जब देर से खुलती है या फिर आँखों के सामने की धुंध छंट जाती है !

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  2. आंखें खुश्‍क होती है और दि‍ल रोता है..
    बहुत गहरी बात कह दी आपने

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  3. ARJ KARNA CHAHOONGA
    WOH APNE HI TO HAEN JO DARD DETE HAEN,
    WOH APNE HI TO HAEN JO BEWAFA HOTE HAEN,
    UN APNO SE BHALA AB KAREN BHI KYA GILA,
    WOH BHI TO APNE HAEN JO WAKT PE SANG ROTE HAEN

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  4. aisa hota hai ..jab satya ki dhoop khilti hai

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