Wednesday, August 8, 2012

कभी-कभी

कभी-कभी यूं भी होता है
आंखें खुश्‍क होती है और दि‍ल रोता है...
वफा का दामन थाम जो चलता है संभलकर
वही शफ़फाक दामन क्‍यों कीचड़ से तर होता है
जि‍सके अपने होने पर कभी फख्र हुआ करता था उन्‍हें
अपनी उसी पसंद पर इंसा को फि‍र क्‍यों रंज होता है ??

8 comments:

Sunil Kumar said...

bahut hi sundar ahsas.........

वाणी गीत said...

कभी आँख जब देर से खुलती है या फिर आँखों के सामने की धुंध छंट जाती है !

Dr.NISHA MAHARANA said...

waah bahut badhiya ...

Shona said...

आंखें खुश्‍क होती है और दि‍ल रोता है..
बहुत गहरी बात कह दी आपने

सदा said...

बेहतरीन भाव

dr.mahendrag said...

ARJ KARNA CHAHOONGA
WOH APNE HI TO HAEN JO DARD DETE HAEN,
WOH APNE HI TO HAEN JO BEWAFA HOTE HAEN,
UN APNO SE BHALA AB KAREN BHI KYA GILA,
WOH BHI TO APNE HAEN JO WAKT PE SANG ROTE HAEN

Vinay said...

सुन्दर रचना

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2. दिल है हीरे की कनी, जिस्म गुलाबों वाला
3. तख़लीक़-ए-नज़र

Bhawna Kukreti said...

aisa hota hai ..jab satya ki dhoop khilti hai