ऐ पीले गुलाब सी लड़की
क्या बात नहीं करोगी मुझसे....
दूर देश के राही ने
हौले से कहा लड़की के कानों में
सुनकर लड़की शरमाई
मन ही मन मुस्काई
और देखती रही कहकर जाने वाले की पीठ को
देर तक
कि जाने फिर इस अनजान चेहरे से
कभी मुलाकात हो कि न हो.....
मगर वो लौटा
हालांकि दिन काफी गुजर गए थे
फुसफुसाया आकर उसने
लड़की के कानों में
सुनो.....थम सी गई हो मेरे
दिल की दहलीज पर आकर
अब इंतजार नहीं होता
मेरी जिंदगी के आंगन में
अब सिर्फ
पीले गुलाब लहलहाते हैं
और कानों में
एक ही नाम दुहराते हैं
अब चल भी दो मेरे साथ....
सुनकर लड़की घबराई
कहा.....इत्ती दूर है तुम्हारा देश
और एकदम अनजान तुम
एक गुलाब लगाने को
सब छोड़...कैसे चल दूं
गर इतने भाते हैं पीले गुलाब तुम्हें
तो ले जाओ पौधे और लगा दो इन्हें
वैसे भी मुझे नहीं भाते पीले गुलाब
अनजान मुसाफिर की आंखों से
झरझर बहने लगे आंसू
कहा.....नहीं जानती तुम
वो बीज तो मेरे दिल में जाने कब लगा
ये मुझे भी नहीं पता
अब तो बेल में असंख्य कलियां खिल आई है
मगर तुम बिन मुरझाई है......
मगर उस लड़की की समझ में
कोई बात नहीं आई
वह हैरान थी यह सोचकर
कोई एक फूल के लिए भी इतना रोता है ???
8 comments:
अनमोल अनुभूति ...!!
सुंदर रचना ..!!
शुभकामनायें.
वाह....
प्यारी ....बहुत ही प्यारी सी रचना......
अनु
सच में ..कोई एक फूल के लिए भी इतना रोता है भला !!
बहुत मार्मिक...!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें
ओह ! अद्भुत
लाजवाब
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जब प्यार किसी से होता है
तब दर्द सा दिल में होता है ...
कभी कभी एक फूल भी तो जीवन बन जाता है ... भोली सी रचना है ...
Post a Comment