बैंगनी फूलों वाले पेड़ ने
उस दिन
अपनी छोटी-छोटी कलियां
बरसा कर
कहा मुझसे.....
मैं भी तो अच्छा लगता हूं
तुम पर....खुद में
और धरती पर अपनी पंखु़ड़ियां बिखेरकर भी...
फिर हर वक्त
टेसू, गुलमोहर और अमलताश की
बातें क्यों करती हो.....
माना मेरा रंग
उन जैसा चटख नहीं....सुंदर नहीं
पर मैं भी खिलता हूं
यहां-वहां....तुम्हारी गली में भी
जाते हुए बसंत में भी
गुलमोहर के खिलने से पहले.....
क्यों नहीं समेटती तुम
मेरे बैंगनी फूल अपने आंचल में
मुझे भी उतना ही मान दो
जितना
औरों को देती हूो........।
वाह................
ReplyDeleteरश्मि जी कमाल कर दिया आपने...............
जाने कहाँ से सुन लीं आपने इन बैंगनी फूलों की बात............
बहुत सुंदर.
मीठा सा उल्हाना ..
ReplyDeleteEK ACHHI BHAV POORNA KAVITA
ReplyDeletenice ....sundar rachna...
ReplyDeletehttp://jadibutishop.blogspot.com
kitni sunder baat kahi aapne....dil ko chuti rachnaa
ReplyDeleteasantushtee aur ichhaa kaa ant nahee hotaa...
ReplyDeletebaingnee phool khushkismat hein aapne yaad to kiyaa...
वाह ...लाजवाब लिखा है
ReplyDeletebahut hi umda aur bhaavpurn rachna,bdhaai aap ko
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