Wednesday, February 8, 2012

चकि‍त हूं.......


अस्‍थि‍र, अनिश्‍चि‍त, अवर्णनीय सब कुछ
चकि‍त हूं मैं.....इतनी प्रवंचना?

स्‍मृति‍यों ने गहरा कि‍या, कलेजे का नासूर
पानीदार आंखों में इतनी छलना?

हृदय का मौन कंद्रन, उपेक्षि‍त सा
निष्‍ठुरता और परायापन

अश्रु छुपाते, बि‍लखते-बि‍खरते विश्‍वास की
कैसे की होगी इतनी अवहेलना ?

3 comments:

  1. kitnaa bhee chhupaao
    chehraa kaa dard
    aankhon mein soonaapan
    khaamosh rah kar bhee
    sab kah detaa hai

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  2. अश्रु छुपाते, बि‍लखते-बि‍खरते विश्‍वास की
    कैसे की होगी इतनी अवहेलना ?
    ‍कई पड़ाव ऐसे होते हैं जहाँ कुछ पल ठिठक सी जाती हूँ .... यही तो प्रश्न अपने भीतर भी अश्रु में डूबा है

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