Saturday, January 28, 2012

अच्‍छा लगता है....

माना
तुम्‍हारी यादें
सि‍र्फ दर्द देती है
मगर भी
तुमको याद करना
अच्‍छा लगता है....
सीने में होती है
कसक
तुम्‍हारे नाम के साथ
मगर भी
नाम पे तुम्‍हारे
रोने में
अच्‍छा लगता है....
न तुमको आना था
न कभी आए तुम
पास
मगर भी
तुम्‍हारे इंतजार में
राह तकना
अच्‍छा लगता है....
ख्‍वाबों में
तुम्‍हारे आने का मतलब
टुकड़ों में रातें गुजारना
मगर भी
बार-बार तुमको
ख्‍वाबों में बुलाना
अच्‍छा लगता है.....।

13 comments:

Chandu said...

बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं
आपकी ये कवितायेँ |
फिरभी
इन्हें पढ़ना,
इनमे डूबकर,
इनकी फीलिंग्स को समझना -
बड़ा अच्छा लगता है |

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

waah....bahut khoob rashmi.... beshak yah tumhari ek dashak puraani kavita hai...magar yahaan to apan bhi apne ek dashak pahle ke samay men jaa pahunche.... sach...!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

waah....bahut khoob rashmi.... beshak yah tumhari ek dashak puraani kavita hai...magar yahaan to apan bhi apne ek dashak pahle ke samay men jaa pahunche.... sach...!!

vandana gupta said...

सुन्दर भावाव्यक्ति।

Nirantar said...

jaise bhee ho tum to tum ho

Arun sathi said...

शाश्वत प्रेम....बधाई

रश्मि प्रभा... said...

दर्द अपनी जगह , याद अपनी जगह ... बहुत ही अच्छी रचना

Pallavi saxena said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

भावपूर्ण विचार..... बहुत सुंदर

S.N SHUKLA said...

इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, अपनी राय दें, आभारी होऊंगा.

सदा said...

वाह ...बहुत ही बढि़या।

मेरा मन पंछी सा said...

सच्चा प्यार हो तो
प्यार में तड़पना भी अच्छा लगता है
बहुत ही सुन्दर ,कोमल अभिव्यक्ति ...
आपके ब्लॉग पर भी आना अच्छा लगता है ....
आपको पढ़ना भी अच्छा लगता है ...

Naveen Mani Tripathi said...

तुम्‍हारे आने का मतलब
टुकड़ों में रातें गुजारना
मगर भी
बार-बार तुमको
ख्‍वाबों में बुलाना
अच्‍छा लगता है.....।

WAH KYA KHOOB LIKHA HAI .....BILKUL LAJBAB RACHANA.