रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
Thursday, January 12, 2012
शिकवा......
मुलाकात जब हुई तो
भर आए अश्क दोनों के
मेरा शिकवा कुछ था
आपकी शिकायत कुछ और थी
कहते-कहते रूक गए कुछ
लब हम दोनों के
आप खामोश थे मेरे लिए
मेरी चुप की वजह कुछ और थी.....।
रश्मि जी बहुत ही सुंदर रचना, हमेशा की तरह निशब्द !
ReplyDeleteआभार !!
सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति,बधाई.
ReplyDeleteकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें, आभारी होऊंगा.
सुंदर भावो कि बेहतरीन अभिव्यक्ती..
ReplyDeleteख़ामोशी की वजह क्या है ?
ReplyDeletekay kahane....bahut hi sunadr prastuti
ReplyDeleteख़ामोशी को ही कुछ कहने दो ....
ReplyDeleteखूबसूरत रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteचंद पंक्तियाँ चार चाँद !
achha likhti hain aap...safar mein rahiye..manzil ki chaah ke bina..
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