Wednesday, January 4, 2012

कहो तो........


कहो तो....
एक सच आज तुम मुझसे
क्‍या इस अंदेशे से
एक पल के लि‍ए भी
कांपा था तुम्‍हारा मन.........
जो यूं रूठकर
हो गई मैं तुमसे दूर
तमाम गुजारि‍शों को
कर के नजर अंदाज
न बोलूं कभी न नजर आउं कभी
अपनी ही दुनि‍या में सि‍मट जाउं
तो क्‍या
तुम्‍हारी पलकों को कोना भी
नम होगा मेरी खाति‍र ....
कहो न......
क्‍या
मेरे पीछे आओगे तुम.......
मेरे मना करने पर पर भी
मुझे मनाओगे तुम...
जानती हूं
मैं नहीं हूं
तुम्‍हारी दुनि‍या
और न ही
मेरा होना न होना
बहुत मायने रखता है
तुम्‍हारे लि‍ए
मगर
तुम्‍हारी नि‍गाहों से होकर
रोज गुजरने वाला
एक चेहरा
जब अंतहीन अंधेरे में
खो जाएगा
तब
दि‍ल में तुम्‍हारे
कोई टीस उभरेगी कि‍ नहीं....
कह दो
एक सच आज तुम मुझसे......

9 comments:

  1. जहां प्यार होगा वहाँ तीस भी ज़रूर उठेगी... जहां सिर्फ नाम का रिश्ता होगा वहाँ शायद महज़ एक आदत पद जाने के कारण कोई याद करे तो भी बहुत समझना चाहिए सुंदर लेखन भावपूर्ण अभीव्यक्ति... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  2. वाह क्या बात है !
    बहुत ही सुंदर लिखा है आपने !

    आभार !

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  3. एहसास और अंतर्द्वंद का सुन्दर चित्रण
    बहुत खूब

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  4. बहुत खूब ... प्रेम करने वाओं से ऐसे सवाल नहीं पूछे जाते ... कहीं दिल चीर के दिखा दिया तो ...
    आपको नया सब बहुत बहुत मुबारक हो ...

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  5. वाह ..बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति ।

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  6. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-749:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  7. बेहद शानदार रचना. दिल के करीब.

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