तन्हा थी पहले भी तन्हा आज भी हूं, बस एक ख्याल था कि तुम साथ चल रहे हो बहते हुए अश्कों को खुद ही पोंछा था हमने बस एक अहसास था कि तुम साथ रो रहे हो अब तो बस... ढलती शाम है और भीगी-भीगी सी रात है तन्हा ख्यालों का सफर और आंखें उदास अब नहीं है मुझको यह अहसास कि तुम साथ चल रहे हो.......।
रश्मि,अगर इसे यूँ सजा दिया जाए तो क्या थोडा और अच्छी लगे ना....क्या नहीं....??
ReplyDeleteतन्हा थी पहले भी
तन्हा आज भी हूं
बस एक ख्याल था
कि तुम साथ चल रहे हो
बहते हुए अश्कों को
खुद ही पोंछा था हमने
बस एक अहसास था
कि तुम साथ रो रहे हो
अब तो बस...
ढलती शाम है
और भीगी-भीगी सी रात
तन्हा ख्यालों का सफर
आंखें उदास अब नहीं है
मुझको यह अहसास
कि तुम साथ चल रहे हो.......।
badhiyaa
ReplyDeletesaath hone kaa ahsaas hee to man kaa vishvass badhaataa hai
पड़ोस की मासूम लड़की सा मन है आपका ... बात सुनकर जी चाहता है कहें ...'आओ बाहर बेंच पर बैठ बात करें' बहुत अच्छा लिखा है बेटा ... खुश रहें ... प्यार और आशीर्वाद ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
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साथ का अहसास भी बहुत सहारा देता है मन को..... सुंदर भाव
ReplyDeleteWaah. . !!
ReplyDeleteSunder panktiyan andar tak utar gai.
Aabhaar . . . !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
kisi ke sath hone ka ahsas bahut accha lagata hai...
ReplyDeletesudar ahsas ,
sundar rachana...
बहुत बढ़िया रचना रशिम जी .......
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली रचना है रशिम जी आपकी .......हार्दिक बधाई
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