Saturday, November 26, 2011

करो वादा....

करो वादा अब दि‍ल पर हाथ रख के
यूं तन्‍हा शामों की
सौगात अब न दोगे....
रखोगे मुझे
सीने में छुपाकर
रोना पड़े जि‍से सोचकर
मुझको कभी, ऐसे
ख्‍यालात अब न दोगे...
तेरी कमी सताए
हम राह तके और
कोई नजर न आए
जो आंखों ही आंखों में काटनी पड़े
वैसी रात अब न दोगे
लाख छुपाने से भी
छुपता नहीं हाल-ए-दि‍ल
जमाने को हो जाए खबर
करो वादा ऐसे
हालात अब न दोगे......।

14 comments:

  1. वादा रहा :-) अच्छी और प्यारी कविता।

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  2. behad sundar....isse acca kuch nahi ho sakta

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  3. बहुत बढ़िया रचना

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  4. बेहतरीन लिखा है, अच्छे शब्द, दिल की बात कलम से

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  5. हर बार की तरह इस बार भी वही खूबसूरती ... वही आवेग ... और वही बहाव ...एक अधूरेपन की अनबूझी कहानी ... शिलाओं के भीतर से आती रौशनी ... लिखती रहिये ... प्यार और आशीर्वाद

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  6. वादों पर ज़िंदगी नहीं कटती .....

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  7. सुदर एहसास. आभार.

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  8. जो आंखों ही आंखों में काटनी पड़े
    वैसी रात अब न दोगे

    बहुत सुन्दर....

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  9. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति........

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