Wednesday, August 17, 2011

कौन हो तुम ?

कौन हो तुम
आंखों में तो
तुम्हारी पहचान नहीं उभरती
मगर दि,
दस्तक पहचानता है
और..... तुम्हारी आहट सुन
आतुर हो
खोल देता है
बरसों से बंद पड़ा दरवाजा
बताओ ..
क्या बहुत पुरानी
पहचान है
तुम्हारी इस दि से
या है
किसी जन् का नाता
क्या है.....किसकी है
वो आवाज
जो इन कानों में उतरती है
तो अनचिन्ही नहीं लगती
और ही शब् अनसुने
क्या तुम और मैं
कभी ' हम' रहे थे
कहो
कौन हो तुम ?????

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