रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
कुछ बहुत पुराना याद आया ...सहमी सी चांदनी है सहमी सी घटाएं हैं सह्मे से नजारों में इक तुम ही नज़र आये मासूम और खूबसूरत बात , खुश रहो ...
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कुछ बहुत पुराना याद आया ...
ReplyDeleteसहमी सी चांदनी है
सहमी सी घटाएं हैं
सह्मे से नजारों में
इक तुम ही नज़र आये
मासूम और खूबसूरत बात , खुश रहो ...