तुझे चाहने से क्या होगा
हमें मालूम है
हमें मालूम है
ये जां इस जिस्म से जुदा होगा
हमें मालूम है
हम तड़पते हैं तड़पा करेंगे
हर वक्त मगर
तड़पोगे तुम भी तो कयामत होगा
हमें मालूम है
खाक में मिलना है हमें
मिल जाएंगे खामोशी से
हक मोहब्बत का अदा कैसे होगा
हमें मालूम है
गुजरते वक्त की तरह हमें भी
भुला दोगे तुम
हमारे जाने के बाद क्या होगा
हमें मालूम है।
हम तड़पते हैं तड़पा करेंगे
हर वक्त मगर
तड़पोगे तुम भी तो कयामत होगा
हमें मालूम है
खाक में मिलना है हमें
मिल जाएंगे खामोशी से
हक मोहब्बत का अदा कैसे होगा
हमें मालूम है
गुजरते वक्त की तरह हमें भी
भुला दोगे तुम
हमारे जाने के बाद क्या होगा
हमें मालूम है।
8 comments:
हम तड़पते हैं तड़पा करेंगे
हर वक्त मगर
तड़पोगे तुम भी तो कयामत होगा.
बहुत खूब !
इस कविता में तो दर्द है उसे महसूस कर रहा हूं। इस एहसास के लिए आपको बधाई।
बहुत बढ़िया तरीके से भावों को उतारा है.
कविता मे आपका ख्याल झलकता है ...लिखती रहे....
बहुत खूब ...अच्छा लगा ...बधाई
सादगी की भाषा में आपकी हर कविता दिल को छूती है... यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है... और यही आपकी खासियत है...
तुम अच्छी कविता लिखती हो
हमे मालूम है
आगे भी लिखोगी
हमे मालूम है
मेरा ब्लॉग देखोगी और कमेंट करोगी
हमे मालूम है
हमें भी मालूम है, इस उम्र में ऐसा ही होता है.
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