Wednesday, February 27, 2008

तुम्‍हारी यादें चुराकर

चले जाओगे जब तुम भी
हमसे दामन छुड़ाकर
रख लेंगे तुम्‍हारी यादों को
तुमसे चुराकर

नि‍गाहों में जब हमारी
दर्द का सैलाब उमड़ेगा
रो लेंगे कि‍सी कोने में
हम सबसे नजरें बचाकर

जमाने को न दि‍खाएंगे
हम दि‍ल के दाग कभी
तेरी खाति‍र रखेंगे लबों पे
हम तब्‍बसुम सजाकर

जिंदगी में गर फि‍र कभी
सामना तेरा हो जाएगा
नि‍कल जाएंगे दूर कहीं
तुम्‍हारे आगे सर को झुकाकर ।

9 comments:

Anonymous said...

यह बात और कि शब्द और भावना युगों तक हर दिल में वही है मगर जब हर्फ़ सफ़्हों पर इतनी आसानी से आ जायें कि पढ़ने वाला मुग्ध हो जाये तो लिखने वाला कवि हो जाता है! कविता सचमुच अच्छी है!

ओमप्रकाश तिवारी said...

badiya

Manoj Sinha said...

Ormanjhi re,
achchi kavitaen likh rahi ho, maveshi se pata chala tum dilli aayi thi. khair tapaswi ko hello kahna. maveshi se mera no lekar phone karna. ho sake to holi pe ranchi aaunga. kavydhara bahate raho.

mehek said...

bahut sundar

Unknown said...

चले जाओगे जब तुम भी
हमसे दामन छुड़ाकर
रख लेंगे तुम्‍हारी यादों को
तुमसे चुराकर
bhav purna

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ।
घुघूती बासूती

अजय कुमार झा said...

rashmi jee,
saadar abhivaadan. mujhe lagtaa hai ki mohabbat ko jaanne wale jyaadaa achh likh paate hain. aapko padhnaa achha lagaa.

anuradha srivastav said...

नि‍गाहों में जब हमारी
दर्द का सैलाब उमड़ेगा
रो लेंगे कि‍सी कोने में
हम सबसे नजरें बचाकर

बहुत खूब...........

vibha said...

बहुत खूबसूरत जज्बात .....