Tuesday, February 26, 2008

कुम्‍हलाया फूल

तुमने
देखा तो होगा
खि‍ले फूल को
कड़ी धूप में
कुम्‍हलाते हुए

सच कहना
क्‍या उस वक्‍त
तुम्‍हें
मेरी याद नहीं आई ?

17 comments:

अजय कुमार झा said...

rashmi jee,
saadar abhivaadan. sirf chand panktiyon mein apne sab kuchh , prem, dard, jindagee, aashaa, niraashaa aur bhee bahut kuchh udel kar rakh diya . dhanyavaad.

Keerti Vaidya said...

HAAN YAAD TO AYE HOGI...PAR INSAANI FITRAT HAI...DEKH KAR BHI ANJAAN BAN JANA......

GOOD POEM......

Ramesh Ramnani said...

बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।

वाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।

रमेश

Ramesh Ramnani said...

बहुत बढ़िया परिचय तुम्हारा - कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है, जिसे भरने की कोशिश कविता का आकार लेती है। जब-जब ऐसा होता है, खुद को तसल्ली होती है कि मैं जिंदा हूं।

वाह जैसा परिचय वैसी ही कुम्हलाई कविता। बहुत सुन्दर दिल को छू गई।

रमेश

Sanjay Tiwari said...

आपको पहली बार देख रहे हैं. स्वागत है.
सुंदर कविता और कोमल भाव...

Manjit Thakur said...

सरल शब्दों का सहज इस्तेमाल.. कविताएं मन को छू गईं। वरना आज तो कवियों ने कविता के नाम पर चुटकुलेबाजी शुरु कर दी है। कई कवि तो सहजता के नाम पर एसटीडी बिल पर कविताएं लिखते हैं। अच्छी कविताओं के लिए साधुवाद आगे से पढ़ता रहूंगा। पहली बार ब्लाग पर आया था।

Manjit Thakur said...

आप झारखंड से हैं, यह जानकर खुशी हुई। मैं भी झारखंड में देवघर से हूं, फिलहाल दिल्ली में दूरदर्शन की नौकरी बजा रहा हूं।

अमिताभ मीत said...

Beautiful.

सुजाता said...

rashmi ji
kripaya apana e mail dijiyega
sujata

Tarun said...

Aapka pata aaj chala yaad kaisi aati, anyway jokes apart. bahut sundar bhav hain, chand line me hi bahut kuch kehte hue

Udan Tashtari said...

सुन्दर भाव...

अनुराग अन्वेषी said...

नाम है रश्मि और करती हो धूप की शिकायत। कहती हो "कहीं कोई अनचीन्हा खालीपन है" और लिखती हो ऐसा कि मन भर-भर आता है। वैसे, इतनी खूबसूरत कविता पढ़ लेने के बाद भला कौन भूल सकता है तुम्हें। सचमुच बेहद प्यारी कविता। और अंत में :
आज क्यों हिचकियां आईं दिले नाशाद मुझे
शायद उस शोख ने भूले से किया याद मुझे
पता नहीं किसकी पंक्ति है। कभी पढ़ा था याद रह गयी।

रश्मि शर्मा said...

आप सबों का शुक्रिया। सचमुच इतनी उम्मीद नहीं थी अपनी इस छोटी सी कविता से। इसने मुझसे इतने भले लोगों को जोड़ा, इसके लिए मैं अपने उस पल का भी शुक्रिया अदा करना चाहूंगी जब यह कविता मुझमें फूटी। सचमुच एक बार फिर लग रहा है कि मेरे भीतर का खालीपन भरने लगा है। पर इस खालीपन को मैं और विस्तार दूंगी ताकि उसे भरने की कोशिश में खुद के जिंदा होने का अहसास कर सकूं।

Anonymous said...

सरल शब्दों के चमत्कार से मोहित कर देती हैं आप!

Reetesh Gupta said...

कोमल भाव लिये अच्छी लगी आपकी कविता ...बधाई

rashmi said...

वाकई अद्भुत लगी पंक्तिया.......बिल्कुल जिन्दगी से जुड़ी जीवित पंक्तिया....साधुवाद.

ANULATA RAJ NAIR said...

आज आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ...
बहुत सी रचनाएँ पढ़ी....

बहुत सुन्दर.........
आज से फोलो करती हूँ..

शुभकामनाएँ.