Friday, August 23, 2024

हमारे साझे का मौसम



उस बारिश से इस बारिश तक 

न जाने कितनी बरसातें गुजर गई

यह हमारे साझे का मौसम है 

हवाबादलमोगरेरातरानी

सब तो हैं,

टूटकर बरसता है आसमान भी

पर भीगता नहीं मन

हवाओं में घुली खुशबू नहीं आती इन दि‍नों मुझ तक


तुम थे तो कितनी सुंदर लगती थी दुनिया

बारिश बजती थी कानों में

संगीत की तरह 

और पहाड़ों से बादलों को लिपटते देख 

नहीं थकती थीं आंखें....

2 comments:

Pammi singh'tripti' said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11 सितंबर 2024 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

Anita said...

यादों के उपवन मन में खिलते रहते हैं
कानों में रिमझिम के सुर बजते रहते हैं