रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
चले भी आओ
सूरज डूबने को है
कि इंतजार के अँधेरे में
कहीं गुम हो के न हम रह जाएँ ...
सुन्दर
सुंदर अभिव्यक्ति
अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।
सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDelete