Sunday, February 21, 2021

शायद ... प्रेम !


- जीवन से सारे संबंध धीरे-धीरे वि‍लग क्‍यों होते जाते हैं ? 

- अलग होने पर ही नए पत्‍ते आते हैं। शायद एक दि‍न मैं भी...

- तुम पत्‍ता नहीं हो मेरे लि‍ए !

- तो क्‍या हूं ?

- थोड़ी जड़, थोड़ी मि‍ट्टी, थोड़ा धूप, थोड़ा पानी 

- कवि‍ता है ..

- न, बस आग्रह...छोड़ के मत जाना। सहन नहीं होगा। 

................। 


8 comments:

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।