रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
जी नमस्ते,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।--चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।आप भी सादर आमंत्रित है ….अनीता सैनी
बहुत खूब!
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
बहुत ही लाजवाब सृजन...।
दिल की रखोअपने ही दिल मेंकह गये तो देखनाफिर एक बार फँसोगे ! ...भावनाओं का शह- मात ...
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जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-08-2019) को " मुझको ही ढूँढा करोगे " (चर्चा अंक- 3424) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब सृजन...।
ReplyDeleteदिल की रखो
ReplyDeleteअपने ही दिल में
कह गये तो देखना
फिर एक बार फँसोगे ! ...भावनाओं का शह- मात ...