रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
दो टुक बात स्पष्ट और सटीक.मेरी जिद से रुके तो क्या रुके.
बहुत खूब ...बात हो तो दिल से वर्ना क्या ....
सटीक पंक्तियाँ
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दो टुक बात स्पष्ट और सटीक.
ReplyDeleteमेरी जिद से रुके तो क्या रुके.
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