Thursday, October 25, 2018

हवाओं की दस्‍तक ....



अहा....फि‍र करवट लि‍या मौसम ने....सुन रही हूं सर्द हवाओं की दस्‍तक ...शाम गुलाबी है, सि‍हरन जगाती। 

अब पगडंडि‍यों पर वो दौड़ती नजर आएगी...हथेलि‍यों में पारि‍जात के फूल भरे....उधर मंदि‍र के आंगन में गले में ऊनी मफलर डाले बेसब्री से कर रहा होगा वो उसका इंतजार....सर्दियां रूमानि‍यत लि‍ए आती हैं न...प्‍यारा मौसम..प्‍यार का मौसम...गुलाबी-गुलाबी

आ जाओ सर्दी....हमारे पास यादों के गर्म लि‍हाफ़ पड़े है बरसों से...अब धूप दि‍खाने का वक्‍त आ गया...

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