Monday, September 3, 2018

गरम हथेली ....

                   

ज़रूरत होती है
हथेलियों को भी
एक ऐसी गरम हथेली की
जो टूटन के पलों में
आकर कस ले 
और अहसास दिला दे
कि कोई है
जिसे हम अपने
सारे दुःख सौंप सकते हैं।

4 comments:

  1. कोई हो न हो ... मान को ये आभास रहे ऊपर वाले का साथ रहे बाँह थाम लेता है कोई ...
    सुंदर रचना ...

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  2. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 08 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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