Tuesday, August 8, 2017

डूबती सांझ.....


" डूबती सांझ का सूरज सदा दे
द‍िल में है क्‍या आज बता दे
नद‍ियों के संगम में भीगी है यादें
सामने आकर तू भी मुस्‍करा दे "

4 comments:

  1. आपकी रचना बहुत ही सराहनीय है ,शुभकामनायें ,आभार "एकलव्य"

    ReplyDelete
  2. सुन्दर पंक्तियाँ

    ReplyDelete

अगर आपने अपनी ओर से प्रतिक्रिया पब्लिश कर दी है तो थोड़ा इंतज़ार करें। आपकी प्रतिक्रिया इस ब्लॉग पर ज़रूर देखने को मिलेगी।