Wednesday, August 30, 2017

गलत ईंट




दर्द
इतना हल्‍का भी नहीं
कि
शब्‍दों के गले लग
रो ले
मिट जाए।
रेशे-रेशे में रवां है
जो
दिया तुमने
और अनचाहे ही
स्‍वीकारा मैंने।
एक सूत बराबर थी
खाई
जोड़ने के बजाय
दो ईंट तुमने हटाईं
दो मैंने
खिसकाई।
अब
टूटा जुड़ता नहीं
खालीपन
भरता नहीं
खिसकी ईंटो से
कमजोर हो रही
अभेद इमारत।
गिर जाएंगी
एक दिन
सीली हुई दीवारें
दरका हुआ मन।
वक्‍त की
हल्‍की हवा भी
सह नहीं पाती
ढह जाती हैं वो दीवारें
जिसकी नींव में
एक ईंट
गलत लग गई हो भूल से......।

9 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना…. - शैलेन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 01 सितम्बर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सार्थक चिंतन ! जीवन दर्शन क्या इससे अलग होगा ?
    अत्यंत सुंदर !

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  4. सुन्दर!
    यथार्थपरक चिंतन को काव्यमय स्वरुप मिला है।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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  5. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग पर 'मंगलवार' ०९ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  6. आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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