'' एला रे सारजम बा
एला रे हाड़ा गुन में
एला रे खुडा़ सांगिन
एला रे नसो रेन में ''
..................................
'' आओ सखुआ के फूल
आओ उतर आओ
आाओ नई-नई कोंपले
आओ उतर आओ ''
प्रकृति पर्व ''सरहुल'' की बधाई सभी को । दो पंक्तियां पहले मुंडारी में, फिर उसका हिंदी अनुवाद पढ़ें।
‘सरहुल’ का सुंदर आवाहन ।
ReplyDeleteबधाई ।
बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह ... मौसम अनुरूप उतर आने का आह्वान ... काव्य चित्र ...
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