Wednesday, February 1, 2017

शारदा माँ , ज्ञानदा


अज्ञान तिमिर का हटा, ज्ञान ज्योत जलाने आया है !
हे शारदा , हे ज्ञानदा यह अलख जगाने आया है !
वसंत पंचमी के अवसर पर नेह नवल बरसाया है  !
भाव भीनी आशीषों से हम सबका हृदय हरषाया है !!
अज्ञान तिमिर को हटा ज्ञान,  ज्योत जलाने आया है !1!

कर सकूं स्मरण मात्र भी ,शक्ति नहीं वो ज्ञान नहीं !
लिख सके लेखनी स्तुति यह किंचित भी आसान नहीं !
निज उपासना के भाव से ये शब्द हैं ,सुर तान नहीं !
स्नेह आशीष की आशा में यह करपात्र  फैलाया है !!
वसंत पंचमी के अवसर पर नेह नवल बरसाया है  !
अज्ञान तिमिर का हटा ज्ञान , ज्योत जलाने आया है! 2 !

प्रकाशित हो उठा मन दीप - प्रज्जवलित बाती से !
हैं प्रसन्न वदन हम शिशु दल आपकी इस ख्याति से !
निस्संदेह स्व को खोजा हमने आपकी इस थाती से !
नेह पगी वल्लरियों से माँ ज्ञान संकुल सजाया है !!
वसंत पंचमी के अवसर पर नेह नवल बरसाया है  !
अज्ञान तिमिर काा हटा ज्ञान, ज्योत जलाने आया है !3 !

मिले मातृवत स्नेह माँ की मूरत को मैं नमन करूँ !
लाखों ने लिखना सीखा उन्हें अर्पित शब्द सुमन करूँ !
ज्ञानगंग सी बस आप बहो मैं अंजुरी भर आचमन करूँ !
वो नमन स्नेह  का मात सदा अपने उर में दर्शाया है !!
वसंत पंचमी के अवसर पर नेह नवल बरसाया है  !
अज्ञान तिमिर को हटा ज्ञान, ज्योत जलाने आया है !4 !

आज पूजन के बाद की तस्‍वीर



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