Saturday, December 31, 2016

सुस्‍वागतम नववर्ष


पूरे साल
दि‍ल में बसाकर रखी
उसकी आंखों की मुस्‍कराहट
हाेठों में जो रह गया,  वो अनकहा
यही पाथेय बना, यही प्राण्‍ावायु

अब ये है थाती
बरस हो या जीवन
जि‍ंदगी दरि‍यादि‍ल है
मुस्‍कान के लि‍ए है इतनी वजह बहुत ।

सुस्‍वागतम नववर्ष , अभि‍नंदन मि‍त्रों 

4 comments:

  1. ..बहुत सुन्दर ..
    आपको भी नए साल की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं

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  2. नव वर्ष की हार्दिक बधाई...
    सादर

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  3. सच है मुस्कान के लिए तो एक छोटी सी बात भी बहुत है ...

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