रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
बहुत सुन्दर
बहुत खूब .. धूप तो वहीं है ... उठाने वाले आज कम हो गए हैं ...
खूबसूरत सी धूप अच्छी लगी ।
सहरा की रेत में सराब सी खामोख्याली,जम गई बर्फ सी ,वो मन की लहरी है !!सुन्दर ग़ज़ल
Bahut hi sunder ....
सुंदर कृति बधाई
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बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत खूब .. धूप तो वहीं है ... उठाने वाले आज कम हो गए हैं ...
ReplyDeleteखूबसूरत सी धूप अच्छी लगी ।
ReplyDeleteसहरा की रेत में सराब सी खामोख्याली,
ReplyDeleteजम गई बर्फ सी ,वो मन की लहरी है !!
सुन्दर ग़ज़ल
Bahut hi sunder ....
ReplyDeleteसुंदर कृति बधाई
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