रूप का तिलिस्म जब अरूप का सामना करे, तो बेचैनियां बढ़ जाती हैं...
सुन्दर भाव !
नेचुरल!
बिलकुल नई उद्भावना - सुन्दर !
मन के भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
---क्या बात है ....जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहिं |
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सुन्दर भाव !
ReplyDeleteनेचुरल!
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ReplyDelete---क्या बात है ....
जब मैं था तब हरि नहीं
अब हरि है मैं नाहिं |