Wednesday, April 16, 2014

मेरी आंखों में....


चाहा था मैंने
तुम्‍हारी आंखों से
हटाकर 
नफरत की चिंगारि‍यां
बेशुमार प्‍यार भर दूं

तुमने चाहा
छीनकर
मेरी आंखों का सूनापन
दुनि‍यां के
तमाम रंग भर दो

हमदोनों ही
कामयाब हुए
अपने-अपने इरादों में

अब
रहते हो तुम
मेरी आंखों में
इंद्रधनुषी सपने से
और मैं
बस गई हूं तुम्‍हारी आंखों में
प्‍यार ही प्‍यार बनकर


तस्‍वीर....खूबसूरत बोगनवेलि‍या की....बहुत भा गई कैमरे को..

6 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-04-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
    आभार

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  2. खूबसूरत प्रस्तुति...

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  3. प्यार ही प्यार भर देने की आवश्यकता है सब के दिलों में। सुंदर प्रस्तुति।

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