Thursday, November 7, 2013

रौशन करते दीप...




दीपावली....जब बि‍जली न हो और दीपमाला सजी हो, तो जो खूबसूरती इन आंखों में उतर आती है...वो अवर्णनीय है.....

मैं दीपावली को देर रात या उसके अगले दि‍न दूर गांवों की तरफ नि‍कल जाती हूं....अपने अंदर उर्जा और उत्‍साह भरने....जि‍स कशि‍श के कारण अगली दीपावली का बेतरह इंतजार होता है मुझे....एक दीये का उजाला....टूटे घर के आले में सजा दीप....या जमीन को रौशन करता एक दि‍या.....मैं घंटो निहारा करती हूं और अपना बचपन...गुजरे साल और आंखों में बसा अनछुया सा कोई सपना फि‍र जी लेती हूं.......

केले के थंब पर सजे दीप...अहाते...छज्‍जे को रौशन करते दीप...


और मेरे मन का दीप....


मेरे कैमरे में कैद तस्‍वीरों में से कुछेक.......

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