आज 'विश्व डाक दिवस' पर एक चिट़ठी की उम्मीद में रची गई कविता
ट्रिन-ट्रिन
साईकिल की घंटी सुन
घर से कई बार
मैं अब भी बाहर निकल जाती हूं
इस आस में
कि डाकिया के थैले में
आज तो
कोई चिट़ठी होगी
मेरे नाम की........
बरसों बाद सही
ख़त में
नीले स्याही से लिखे
बिना संबोधन वाली
चार पंक्तियों के नीचे
एक नाम तो होगा
और ठीक उसके उपर
लिखा होगा --'तुम्हारा'....
मैं मान लूंगी
जो मेरा था
वो अब भी मेरा ही है
और धुंधलाए से कुछ शब्दों को
चूम लूंगी ये सोचकर
कि मेरी याद में गिरे
आंसुओं का है निशान ये....
इंतजार में खड़ी
भूल जाती हूं
कि अब इस गली में
कोई डाकिया नहीं आता
मीलों दूर शहर में
जा बसने वाला
अब नहीं लिखता
कोई चिट़ठी
मेरे नाम की...
तस्वीर--साभार गूगल
ट्रिन-ट्रिन
साईकिल की घंटी सुन
घर से कई बार
मैं अब भी बाहर निकल जाती हूं
इस आस में
कि डाकिया के थैले में
आज तो
कोई चिट़ठी होगी
मेरे नाम की........
बरसों बाद सही
ख़त में
नीले स्याही से लिखे
बिना संबोधन वाली
चार पंक्तियों के नीचे
एक नाम तो होगा
और ठीक उसके उपर
लिखा होगा --'तुम्हारा'....
मैं मान लूंगी
जो मेरा था
वो अब भी मेरा ही है
और धुंधलाए से कुछ शब्दों को
चूम लूंगी ये सोचकर
कि मेरी याद में गिरे
आंसुओं का है निशान ये....
इंतजार में खड़ी
भूल जाती हूं
कि अब इस गली में
कोई डाकिया नहीं आता
मीलों दूर शहर में
जा बसने वाला
अब नहीं लिखता
कोई चिट़ठी
मेरे नाम की...
तस्वीर--साभार गूगल
बहुत बढ़िया याद ..
ReplyDeleteकभी हम भी बहुत चिट्ठी लिखा करते थे ..अब लगता है भूल -बिसर गए है ...
वो सब तो अब भूली बिसरी बातें हो गयी |
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
बहुत सुन्दर.जगजीत सिंह की एक गजल याद आती है .....चिठ्ठी न कोई संदेश ...
ReplyDeleteनई पोस्ट : मंदारं शिखरं दृष्ट्वा
नवरात्रि की शुभकामनाएँ.
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11-10-2013) को " चिट़ठी मेरे नाम की
ReplyDelete(चर्चा -1395) " पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
प्यार की पाती आज कहां रह गई है ... तेज़ी का युग है अब ... नेट का ज़माना है ... मोबाइल का ज़माना है ...
ReplyDeleteकल 11/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
कल 11/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - शुक्रवार - 11/10/2013 को माँ तुम हमेशा याद आती हो .... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः33 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर...रचना..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
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प्रेम पत्र-बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा
पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
ReplyDeleteकई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (28) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !