Friday, October 25, 2013

तेरी याद वाली हि‍चकी.....


फि‍र आई
तेरी याद वाली हि‍चकी

अक्‍टूबर की गुलाबी सर्दी में
बरस रहा बादल
सि‍हर-सि‍हर रहा तन
छू गई तेरी याद की बूंदे
फि‍र आने लगी
तेरी याद वाली हि‍चकी

सुबह की हल्‍की धुंध में
ओस भीगा गुलाब
खि‍ल उठा और..कुछ और
भार से बूंदों की
झुक गई हरी दूब
नम हवा ने जैसे छुआ हो
कि‍सी के मूंगि‍या लब
ये देख मुझे

फि‍र आई
तेरी याद वाली हि‍चकी

तस्‍वीर--साभार गूगल 

8 comments:

  1. कौन याद करता है, हिचकियाँ समझती हैं।

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  2. बहुत खुबसुरत रचना.

    सादर.

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  3. सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  4. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने..

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  5. कितना कुछ अपने साथ ले आई ... तेरी याद वाली हिचकी ... प्रेम का एहसास लिए ...

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  6. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  7. लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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