आओ
कि इससे पहले
जिंदगी झटक दे मेरा हाथ
और
तुम्हारे बदले
मौत को हो जाए
मुझसे
तुम सी मोहब्बत
मैं फेर लूं आंखे
तुमसे
और सारी दुनिया से
आओ न प्रिय
प्रीत की रीत निभा जाउं
तुम्हें न सही
तुम्हारे अक्स को
इन निगाहों में भर लाउं
आओ
कि तुम्हारी खुश्बू से
तर-ब-तर कर लूं
अपनी सांसे
एक पल को न
भूली
मेरी रूह तुम्हें
जो कभी ऐसा हो जाए
ख़ुदा कसम
मैं काफ़िर कहलाउं...
तस्वीर--साभार गूगल
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (05-09-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 107" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 05-09-2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
धन्यवाद
बहुत सुंदर :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
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