Thursday, June 6, 2013

मैं नाजुक हरसिंगार.....


तुम
बूंदे ओस की
मैं 
पत्‍ती लाजवंती
तुम
पगलाई सी हवा
मैं 
नाजुक हरसिंगार
तुम
घनेरे कारे बदरा
मैं
खेतों की कच्‍ची मेड़

* * * * *
तुम संग जि‍या न जाए
तुम बि‍न जि‍या न जाए
ओ मेरे सांवरि‍या, सुन
बति‍यां ये तुझसे कही न जाए....


11 comments:

  1. तुम संग जि‍या न जाए
    तुम बि‍न जि‍या न जाए
    ओ मेरे सांवरि‍या, सुन
    बति‍यां ये तुझसे कही न जाए....bahut badhiya ....

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(8-6-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. जीवन का सौंदर्य इसी में है !

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  4. बहुत खूबसूरत और नाज़ुक एहसास

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  5. कुदरत के खजाने से अद्भुत बिम्ब लेकर एक बेहद खूबसूरत संयोजन ....वाह !!

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