Friday, June 28, 2013

दर्द बेइंतहा दर्द......


एक दर्द है
जो न
दबता है
न उभरता है

बस
टीसता रहता है
सारे जि‍स्‍म में
इस मन में

न कह पाती हूं
न सह पाती हूं
एक कसक
सीने में होती है

वजह पता नहीं
आंखों को
बस वो रोती है
महसूस करती है

दर्द
बेइंतहा दर्द
ये कि‍सने दि‍या
अब तो याद भी नहीं


तस्‍वीर- साभार गूगल 

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