Monday, May 13, 2013

मां तो मां है.......


'कभी पीठ से बंधा, तो कभी लगकर सीने से
मुझे फूलों की खुश्‍बू आती है मां के पसीने से
जब होता है सर पे मेरे, मां के आंचल का साया
चलती है सावन की पुरवाईयां जेठ के महीने में''

तस्‍वीर...यूं ही सड़क से गुजरते अच्‍छी लगी तो उतार ली......

9 comments:

  1. .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार अक्षय तृतीया की शुभकामनायें!.अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .

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  2. बहुत ही प्यारी रचना!

    -अभिजित (Reflections)

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  3. सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति,आभार.

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  4. माँ जीवन का सृजन हैं
    सुंदर रचना
    बधाई

    आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  5. आज की ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन पर मेरी पहली बुलेटिन में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर आभार।।

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