मेरी ख़ातिर
भर बरस रहता है
तेरी यादों का मौसम
प्रकृति ने बदला हो
चाहे कोई भी मौसम
क्योंकि
मेरी किस्मत में तू नहीं
रेगिस्तानी आंधी
उड़ा ले जाती हैं
आंखों से हर सपने, फिर भी
मधुमालती की खुश्बू सी
तू महकता है हरदम
मेरी ही सांसों के आसपास
रहता है भीना-भीना सुवास
बेशक तेरा अहसास
रूलाता है बार-बार मगर
तुम बिन अपना
कोई अस्तित्व नहीं
इसलिए कहती हूं
हर शै में तू...हर सू है तू
मेरे लिए बस तू ही तू
और तेरी यादों का मौसम...
प्रकृति ने बदला हो
चाहे कोई भी मौसम
क्योंकि
मेरी किस्मत में तू नहीं
रेगिस्तानी आंधी
उड़ा ले जाती हैं
आंखों से हर सपने, फिर भी
मधुमालती की खुश्बू सी
तू महकता है हरदम
मेरी ही सांसों के आसपास
रहता है भीना-भीना सुवास
बेशक तेरा अहसास
रूलाता है बार-बार मगर
तुम बिन अपना
कोई अस्तित्व नहीं
इसलिए कहती हूं
हर शै में तू...हर सू है तू
मेरे लिए बस तू ही तू
और तेरी यादों का मौसम...
तस्वीर--साभार गूगल
7 comments:
महकता मधुमालती की खुशबू सा
बारंबार, होता यही अहसास-आभास....सुन्दर।
बेशक सुन्दर अहसास-----बेशक तेरा अहसास
रूलाता है बार-बार मगर
तुम बिन अपना
कोई अस्तित्व नहीं
इसलिए कहती हूं
हर शै में तू...हर सू है तू
मेरे लिए बस तू ही तू
और तेरी यादों का मौसम
आज की ब्लॉग बुलेटिन रोती और सिसकती दिल्ली.. ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013] के 'एक गुज़ारिश चर्चामंच' 1222 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
सूचनार्थ..
कुछ वजूद जीवन का हिस्सा इस तरह से बन जाते हैं जैसे किसी पेंटिंग में बैकड्रॉप
खुबसूरत अभिवयक्ति......
मधुमालती की खुश्बू सी
तू महकता है हरदम
मेरी ही सांसों के आसपास
रहता है भीना-भीना सुवास--खुबसूरत अभिवयक्ति
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