रोती रही रात
झरती रही मेंह
सिमट आई
बूंदे
मेरी आखों और
सारी कायनात की हथेली पर
ये तेरी याद थी
मेरे साथ-साथ
जिसने रूलाया
आस्मां को भी....
बेसबब रोने की वजह देने वाले
ऐ दिलकश आवाज के मालिक
तू मुझे बहुत याद आता है........
जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई .........
तस्वीर--साभार गूगल
सादर नमन ||
ReplyDeleteशुभकामनायें-
गजलों रूह से
ReplyDeleteपरिचय तो आपने कराया
सुरों की बरसात में भीगना
आपने सिखाया
लफ्जों का मीठापन
आवाज की गहराई से
वास्ता आपके कारण ही पड़ा
और तुम ये कैसे जुदा हो गए
हर तरफ थे हर जगह हो गए.....
......................
तुम कल थे आज कहाँ खो गये
अकेला छोड़ तुम फ़ना हो गये
तन्हा तन्हा दू:ख झेलेगे सदा,
जीत, से तुम जगजीत हो गये
अचानक तुम ये कैसे जुदा हो गए
तुम हर तरफ थे हर जगह हो गए
जिक्र,जब भी होगा गजलों का-,
होठों से,गा कर तुम अमर हो गए,,,,
होठों से,गा कर तुम अमर हो गए,,,नमन
RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
aapki post ne ek bar fir hame jagjeet singh ji se jod diya .thanks बहुत सुन्दर व् भावात्मक प्रस्तुति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
ReplyDeleteस्व जगजीत सिंह जी को 73वे जन्मदिन पर श्रधान्जली !
ReplyDeleteएक बौछार था वो शख्स - ब्लॉग बुलेटिन ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब को समर्पित आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteआपकी आवाज आज भी उतनी ही ताजा है जितनी कि कल थी |
सादर
sadar naman.....
ReplyDeleteनमन ....सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteजगजीत जी को नमन और आपकी सुन्दर रचना के लिए आभार।
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