Wednesday, January 16, 2013

शब्‍दों के जादूगर......



सुनो
रंगरेज मेरे
इससे पहले कि
ये मासूम दि‍ल
दि‍माग की गि‍रफ्त में आए
और मैं
अपनी कोमल भावनाओं को
संयम के चाबुक से
साध लूं
एक स्‍वीकारोक्‍ति जरूरी है....

सुनो
शब्‍दों के जादूगर
तुम्‍हारे आने से
अनायास ही भरने लगा
जीवन का
खालीपन
वैसे ..जैसे
कच्‍ची उम्र का प्रेम
सुध-बुध खोया
मान तज
हो गई मीरा सी दीवानी
पर
मीरा के प्रेम में
कृष्‍ण कहां हुए थे पागल.......

सुनो
मखमली आवाज के मालिक
स्‍त्री संकोच त्‍याग
कहती हूं
मुझे प्रेम है तुमसे..
ये और बात है
कि मेरी यह आवाज
तुम तक न पहुंच
व्‍योम में वि‍लीन हो जाए
और हजारों बरस बाद
कुरूक्षेत्र से आती आवाजों की तरह
मेरी आवाज भी गूंजे
कि
मेरे रंगरेज
मेरे जादूगर
बेतरह प्‍यार है तुझसे......

20 comments:

  1. sundar bhav मेरे रंगरेज
    मेरे जादूगर
    बेतरह प्‍यार है तुझसे......new post 'zahar'

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  2. प्रेम का आधार शब्दों के रास्ते ही मजबूत होता है ...
    अनंत तो प्रेम है शब्द बस माध्यम हैं ...
    अनुपम रचना ...

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  3. वाह! बहुत भावमयी रचना...

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  4. कृष्णा जादूगर बड़े, हो मीरा को भ्रान्ति ।

    अजब गजब अंदाज है, रश्मि-मान संक्रांति।

    रश्मि-मान संक्रांति, नहीं विश्रांति किया है ।

    हरदम आठो-याम, हृदय से याद किया है ।

    विष का प्याला देख, जगी थी तब भी तृष्णा ।

    पर मीरा का मोक्ष, नहीं कुछ बोले कृष्णा ।।

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  5. और हजारों बरस बाद
    कुरूक्षेत्र से आती आवाजों की तरह
    मेरी आवाज भी गूंजे
    कि
    मेरे रंगरेज
    मेरे जादूगर
    बेतरह प्‍यार है तुझसे......

    बहुत सुन्दर भाव सहेजे हैं।

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  6. ये मासूम दि‍ल
    दि‍माग की गि‍रफ्त में आए
    और मैं
    अपनी कोमल भावनाओं को
    संयम के चाबुक से
    साध लूं
    एक स्‍वीकारोक्‍ति जरूरी है....

    वाह ! बहुत ही उम्दा भाव !

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  7. बहुत सुंदर, शब्दों की भावाभिव्यक्ति ,,,बधाई

    recent post: मातृभूमि,

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  8. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

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  9. आपकी इस पोस्ट की चर्चा 17-01-2013 के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं

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  10. प्यार के आवेग की सशक्त रूपकात्मक अभिव्यक्ति सुनो मेरे रंगरेज़वा

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  11. सुनो
    मखमली आवाज के मालिक
    स्त्री संकोच त्याग
    कहती हूं
    मुझे प्रेम है तुमसे..

    ह्रदयस्पर्शी और सुखद एहसास शब्दों की जादूगरी का

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  12. सार्थक और सटीक!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

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  13. 'मखमली आवाज के मालिक
    स्‍त्री संकोच त्‍याग
    कहती हूं
    मुझे प्रेम है तुमसे..'
    - प्रभावी स्वीकारोक्ति!

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  14. निश्छल प्रेम का भाव लिए ...

    सुन्दर प्रस्तुति .... बधाई व आभार !.

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  15. क्या सुन्दर कविता का सृजन किया है सार्थक प्रस्तुति का भाव ,धन्यबाद।

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  16. बेखुदी जब हद से गुजर जाती है तो शब्द बनकर होठों तक आती है और शब्द बन कर कविता में ढल जाती है ,सुन्दर भाव युक्त सुन्दर रचना हेतु बधाई

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  17. सुनो
    मखमली आवाज के मालिक
    स्‍त्री संकोच त्‍याग
    कहती हूं
    मुझे प्रेम है तुमसे..
    ये और बात है
    कि मेरी यह आवाज
    तुम तक न पहुंच
    व्‍योम में वि‍लीन हो जाए...प्रभावी स्वीकारोक्ति!

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