Friday, December 7, 2012
दिसंबर के दिन...बस वे दिन
दिसंबर के दिन....सर्दियों के दिन....कोहरे-कुहासों के दिन...गुनगुनी धूप की गर्माहट लिए गुजरे यादों के दिन...वे दिन...बस वे दिन...
आंगन में चटाई बिछाकर, आधे धूप आधे साए में लेटकर नीला आकाश तकना....हवाओं की सरसराहट महसूस करना...पत्तियों को हिलता देखना और फिर....अलसाए से बगल में पड़ी किताब उठाकर कुछ पन्ने उलटना....मीठी लगती धूप को मुठिठयों में भरना...मौसम की खुश्बू का सांसों में घुलना...और किसी अनदेखे की कल्पना में आहें भरना..उम्र का तकाजा ही सही...मन तो सतह तो गीली रह गई..क्या बीतता वक्त यादों को मन की शाख से झाड़ सकता है ?
उधर थोड़ी दूर पर नर्म धूप सेंकती मां और उनकी महिला मंडली की गप्पें.....मां, चाची, बुआ और मुहल्ले की ताई....सबके हाथ में बिनाई की सलाइयां और मुंह जितनी ही तेज चलती उनकी उंगलियां.....बातों के साथ इस बात की प्रतियोगिता कि किसकी डिजाइन ज्यादा अच्छी है और कौन इस सर्दी में सबसे ज्यादा स्वेटर बुनता है..मां के हाथों बिने स्वेटर की गरमी और नरमाई भी तो अधिक होती है न....
अलसाया सा दिन....कुहासे भरी शाम.....और बचपन....नितांत बचपन की याद....कनपटियों के बाल सफेद होने से क्या कोई भूल सकता है कि कभी सर्दियों में दोनों हाथ पाकेट में घुसेड़कर गर्म भांप का धुंआ उड़ाने में कितना मजा आता था....मैं नहीं भूली...कोई नहीं भूलता। शाम होते ही (बोरसी) अलाव जल जाता....उफ...गजब का मजेदार.....हम बच्चों के लिए एक उत्सव हो जैसे...रसोई से छोटे-छोटे आलू ढूंढकर लाते हम और उन्हें आग में पकाते....ऐसे ही मटर...शकरकंद...। उस भुने आलू-मटर सा स्वाद और किसी चीज में कहां....साथ ही दादी की कहानियां..भूत,परी, राक्षस....जितनी सर्द रात होती..आनंद उतना ही ज्यादा। भारी-भारी रजाई के नीचे दुबके छोटे-छोटे बच्चे। ठंढ के आतंक से समय से पहले कमरे में बंद कर दिए जाते हम..बस किस्से-कहानियां..हवाई बातें और बाहर सर्द रात में चलती हवा की सांय-सांय.....
इस बार की सर्दी ने यादों की पोटली खोल दी है......
बहुत अच्छा लिखा आपने इसको पढकर सर्दी अब सहमायेगी नहीं ।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट ने बच्चपन की शर्दीयों में किये गये सारे कारनामे याद दिला दिए ... मनो बच्चपन में चले गए हो पढ़ते पढ़ते ...
ReplyDeleteआभार !!
उत्कृष्ट लेखन !!
ReplyDeleteसर्दी और यादों की पोटली...में बचपन की यादें,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
रश्मि जी
आपकी पोस्ट ने कितनों की यादों की पोटलियां खुलवा दीं …
:)
सुंदर भाव और सुंदर शब्दों से सजी प्रविष्टि के लिए आभार !
अच्छा चित्रण !
बेहतर प्रस्तुति !
शुभकामनाओं सहित…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-12-2012) के चर्चा मंच-१०८८ (आइए कुछ बातें करें!) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!