कहते हो
बार-बार
सुनो....
और कुछ कहते नहीं
एक चुप्पी सी पसरी है
हमारे दरमियां
जाने कितने बरस से...
मेरा कहा
तुम्हें समझ नहीं आता
और अनकहा
इतना मुखर होता है
कि
तुम वो भी सुन लेते हो
जो नहीं सुनना चाहिए
अब कहो
तुम्हारी भावनाओं का क्या करूं मैं
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
एक प्रवाह में सजी सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteRECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये
मानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
सुंदर अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteशुभकामनायें ...
बेहतर लेखनी !!!
ReplyDeleteवाह! अंतस के बहकान की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...
ReplyDeletesunder- utam-***
ReplyDeleteप्रवाहमयी बढिया रचना, बधाई।,,रश्मी जी,,
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
और अनकहा
ReplyDeleteइतना मुखर होता है
बहुत अच्छी भावाव्यक्ति , बधाई
तुम्हारी भावनाओं का क्या करूं मैं
ReplyDeleteमानूं
तो तुफान आ जाएगा
न मानूं
तो तुम रूठ जाओगे
और बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
बहकती भावनाएं ...वाह
बेतुकी खुशियाँ
अच्छी भावाव्यक्ति उत्कृष्ट रचना,"तो तुम रूठ जाओगे
ReplyDeleteऔर बरस बाद फिर से पुकारोगे
सुनो....सुनो...
सुंदर भाव संयोजन के साथ भावपूर्ण अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर...सभी रचनाएं लाजवाब....
ReplyDeleteमेरी एक योजना है...आप शामिल होना चाहेंगी...
veena.rajshiv@gmail.com