देखो
चांद के माथे जा चिपका है
वो अनुत्तरित सवाल
जो मुझसे पूछने को तुमने
हवाओं की अलगनी में टांग रखा था....
क्या नहीं जानते तुम
कुछ सवालों के जवाब नहीं होते
और कई बार
लोग गलियों के फेरे भी डालते हैं
बस...यूं ही..आदतन
अब चांद भी हैरान है
अपने माथे एक नया दाग देखकर
सुनो
कह दो उससे
मेरे सवाल को ले परेशान न हो
दागदार चांद भी सबको प्यारा है
और
बिना जवाब दिए भी
कई बार
सवाल अलगनी में झूलते रहते हैं
क्योंकि मन ही मन
चुप्पी का राज जानते हैं.......
उम्दा एवं भावपूर्ण रचना | बहुत खूब |
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट-गुमशुदा
SACH HAI.... KUCHH SWALO KE JAWAB NAHIN HOTE.....
ReplyDeleteSAHI HAI... KUCHH SWALO KE JAWAB NAHIN HOTE.....
ReplyDeleteबहुत सुंदर उत्कृष्ट रचना,,,बधाई
ReplyDeleterecent post : प्यार न भूले,,,
बेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteअरुन शर्मा - www.arunsblog.in
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमन,सवाल और चुप्पी के इस ऊहापोह में
ReplyDeleteचांद बेकार ही पिसता है दाग लिए,औरों के