सुनो....
मुझे अब तक है तुम्हारा ही इंतजार
मगर
जिस दिन तुम
फैसला कर लोगे
दूर जाने का
और
लौटकर पास कभी नहीं आने का
उस दिन
अपना दिया नाम भी
संग अपने ले जाना.....
मैं नहीं चाहती
कि
जब मैं उदास हो
तुम्हारे जाने का मातम
इन आंखों में भरकर
उस दरवाजे की ओर
देखूं
जिस राह से
सिर्फ
तुम्हारे आने का
इंतजार हुआ करता था...
और ऐसे मुश्किल वक्त में
कोई और
तुम्हारे दिए नाम से
पुकार ले मुझे
और मेरी
वीरान आंखों में
तुम्हारे लौट आने की मन्नत उपजे
फिर मैं.. घुटनों के बल
बैठ जाउं
दुआ के लिए हाथ फैलाए
इसलिए......
ले जाना तुम अपना दिया नाम भी
जो हर संबोधन के साथ
यादों में लिपटकर
बार-बार मुझ तक आ जाता है
....आने न पाए
और मैं
अपनी चुप्पियों के साथ
तुम्हें भूलकर भी कोशिश करूं
बहते रहने की
जिंदा रहने की.........।
nice presentation.कोई कानूनी विषमता नहीं ३०२ व् ३०४[बी ]आई.पी.सी.में
ReplyDeleteऔर
ReplyDeleteलौटकर पास कभी नहीं आने का
उस दिन
अपना दिया नाम भी
संग अपने ले जाना.....वाह,,,सुंदर अभिव्यक्ति,,,
RECENT P0ST फिर मिलने का
jindgi jindadili ka hi nam hai ...
ReplyDeleteउफ़ कितना दर्द है
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर भाव रश्मि जी....
ReplyDeleteकोमल से एहसास...
अनु
बहुत खूब।
ReplyDelete............
हिन्दी की सबसे दुर्भाग्यशाली पुस्तक!
बहुत उम्दा प्रस्तुति, गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteइतनी शिद्दत से भी क्या कोई किसी को प्यार करता होगा ?हाँ करता ही होगा ,तभी तो ये एहसासात उपजतें हैं .बेहद सशक्त रचना .
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति.......गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर!!
ReplyDeleteआये नाम दिये और
चल दिये कहीं मगर
जाने को किसने रोका
नाम भी ले जाते अगर !
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...आभार
ReplyDeleteभावभीनी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावभीनी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभावभीनी अभिव्यक्ति
ReplyDeletebhawbhini.....
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना |
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबेहद सशक्त रचना .
ReplyDeleteवाह! बहुत भावमयी प्रभावी रचना...
ReplyDeleteसबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल बहुत पसंद आई.......बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
ReplyDeleteकभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
bahut he sunder rachna...
ReplyDeleteसाधू साधू
ReplyDeleteसाधू साधू
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