आप सोचेंगे इस तस्वीर में तो कुछ ख़ास नहीं… इससे बेहतरीन कई तस्वीरें हैं मेरे पास। मगर यह अनमोल है मेरे लिए। तस्वीर में जो मंदिर दिख रहा, उससे सटा हमारा घर है और छत से दिखता बादलों से घिरा पहाड़।
पिछले दिनों किसी और जगह जा रही थी तो यह दृश्य दिखा और बच्चों सी उछल पड़ी मैं। इस पहाड़ की चोटी तक चढ़ी हूँ छुटपन में और बादलों को आग़ोश में भरा है।तो बस यही है ख़ास… यहाँ मेरा बचपन है, जिसे मोबाइल में क़ैद किया है।

6 comments:
सुंदर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 24 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ये बीते दिनों की यादों का भी क्या कहना ...
बेहतरीन
बचपन की पुलक कभी नहीं साथ छोङती ।
प्यारी सी पोस्ट ने बचपन पर दस्तक दे दी !
बहुत सुन्दर
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