Sunday, October 13, 2013

अब नहीं आएगा वो....


तेज हवाओं से
कांपती बारि‍श की बूंदे
सड़क पर
बि‍खर पड़ी छि‍तराकर
उसी लैंप पोस्‍ट के नीचे
जहां
मरि‍यल सी रोशनी
अब भी थरथरा रही है
सूनी सी बेंच
भीगकर उदास है
जानती हूं मैं
बारि‍श का ये मौसम भी
बीत जाएगा
मगर
अब नहीं आएगा वो
कभी नहीं आएगा वो.....

तस्‍वीर--साभार गूगल

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर .
    नई पोस्ट : रावण जलता नहीं
    विजयादशमी की शुभकामनाएँ.

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  2. सुंदर रचना अभिव्यक्ति ... बधाई
    दशहरा पर्व पर हार्दिक बधाई शुभकामनाएं

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  3. जी रश्मि जी ... निराशा तो होती है ये जीवन है सब कुछ सहने की आदत पड़ ही जाती है
    अच्छी कल्पना सुन्दर रचना
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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