Saturday, August 10, 2024

बारि‍श का इंतजार...


कोई मुझसे पूछे कि क्यों होता है बारिश का इंतजार तो मैं एक नहीं, सैकड़ों कारण गिनवा सकती हूं। अव्वल तो मुझे  बारिश की बूंदों को देखना, बारिश की आवाज सुनना और उसमें भीगना... तीनों ही बहुत पसंद है। बारिश मेरा पसंदीदा मौसम है। 

बचपन में भीगने पर डांट पड़ती थी तो स्कूल जाते समय छाता जरूर लगाती , मगर क्या मजाल कि घर लौटने समय कभी छतरी खोल लूं। कैसे भींगी - इस सवाल के रोज नए जवाब तैयार होते थे। भीगने का आनंद वही समझ सकता है, जो बारिश की बूंदों का लुत्फ उठाना जानता हो। 

और पीछे जाऊं तो वो दौर देखा है मैंने जब भरपूर बारिश होती थी। बरसात का तेवर ऐसा कि दोपहर तक धूप निकलती और शाम होने से पहले बारिश। यह रोज का ही नियम था। बचपन में कागज की नाव बनाकर पानी की धार में छोड़ना, उसके पीछे भीगते हुए दूर तक भागना याद आता है।
जब बारिश थम जाती तो हम बच्चे पूरे मैदान का मुआयना करते और मखमली घोघो रानी पकड़कर माचिस की डिबिया में रखते। शाम को बरामदे में दादी के साथ मिलकर बोरसी में आग सुलगाते। दादा जी काम से लौटते तो पहले हाथ तापते क्योंकि उन दिनों बरसात में तापमान भी बहुत कम हो जाता था। 

बिजली की चमक और गर्जन की तेज आवाज से डरकर हम दादा जी के पास दुबक जाते। बोरसी की आग में दादी मकई पकाती और उसकी सोंधी खुशबू और नींबू, नमक,मिर्च के साथ स्वाद लेते हुए खाते और दादा जी के किस्से सुनते रहते। 

कई लोगों के लिए बारिश परेशानी का कारण होता है, मगर मुझे बचपन से ही इसमें आनंद आता है। काले मेघ जब आसमान को घेरते हैं तो एक मयूर की तरह मेरा मन भी नाच उठता है। बूंदों का पत्तियों पर ठहरना, कांपना और गिरना...मैं मंत्रमुग्ध होकर देखती हूं। बारिश के मौसम में पेड़ - पौधे एकदम चटख हरे रंग के दिखने लगते हैं तो अपना झारखंड और खूबसूरत लगने लगता है। देर रात जब बारिश होती रहे तो चुपचाप उसकी आवाज सुनना आपको एक अलग दुनिया में ले जाता है। जब पहाड़ बादल की बाहों में होते हैं, तब देखिए वो दृश्य...क्या मजाल कि आपकी पलकें झपक जाए। फुहारों में भीगकर खराब से खराब मूड भी अच्छा हो जाता है, शर्त यही है कि सब भूलकर केवल बारिश का मजा लें।

4 comments:

Prakash Sah said...

वाह! पुराने स्मृतियों के साथ-साथ बारिश में क्या भिगोया है आपने। बहुत बढ़िया।

Rupa Singh said...

वाह जी! बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

Anita said...

ब से बचपन और ब से बारिश, दोनों का जैसे गहरा नाता है, बारिश में भीगने का और छपाक छपाक कर चहबच्चों में कूदने का आनंद एक बालक ही ले सकता है

Onkar said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति